Binding: Perfect Bound
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Description

माँ बालक की प्रथम गुरू होती है। संस्कार बालक को माँ से ही प्राप्त होते हैं। अच्छे संस्कार ही तो बालक के चरित्र निर्माण के दृढ़ आधार स्तंभ होते हैं। बालक चाहे कितना भी बड़ा और विशाल क्यों न हो जाए पर माँ की गोद कभी भी छोटी नहीं पड़ती और माँ का प्यार इस असीम अनंत ब्रह्माण्ड को भी अपने में समा लेने में क्षमता रखता है। माँ तो आखिर माँ होती है।इस उपन्यास में देवम हर घटना का मुख्य पात्र है। उपन्यास की हर घटना देवम के इर्द-गिर्द ही घूमती है। समाज में व्याप्त असन्तोष के प्रति देवम के मन में आक्रोश है और वह उसे सुधारने का प्रयास करता है ।माँ का सहयोग उसे हर कदम पर प्राप्त होता है। हर कदम पर माँ उसके साथ होती है। माँ एक शक्ति है ऊर्जा है प्रेरणा है बालक के लिये और इतना ही नहीं माँ हर समस्या का समाधान भी है शुभ-चिन्तक भी और सही दिशा दिखाने वाली पथ-प्रदर्शक भी।बाल-मन निर्मल पावन और कोमल होता है वह कभी फूल-पत्तियों में आत्मीयता की अनुभूति करता है तो कभी पेड़-पौधों से ऐसे बात-चीत करता है जैसे वे पेड़-पौधों नहीं बल्कि उसके मित्र हों और वे उसकी सभी बातों को भली-भाँति समझते भी हों।गुलाब उसका प्रेरणा - पुंज है। वह गुलाब को डाल पर ही खिलते देखना चाहता है। काँटों के बीच में संघर्ष - रत गुलाब विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करता हुआ गुलाब । वास्तव में संघर्ष का दूसरा नाम ही तो काँटे तो उसके अपने होते हैं और अपने ही तो ज्यादा पीढ़ा देते हैं। अपनों से संघर्ष करना कितना कष्ट दायक होता है ये तो कोई अर्जुन से ही पूछे। कितने भाग्यशाली होते हैं वे लोग जिनके अपने अपने होते हैं। अपनापन होता हैं जिनमें आत्मीयता होती है जिनके रोम-रोम में। जो अपनों का हित पहले और अपना हित बाद में सोचते हैं। मन गद् गद् हो जाता है ऐसी आत्मीयता को देख कर। आँखें भर आतीं हैं। देवम फूलों को डाल पर हँसते और खिलखिलाते हुए ही देखना चाहता है। जब गजल फूल को डाल से तोड़ती है तो उसका दिल ही टूट जाता है और यह वेदना उसके लिए असहनीय हो जाती है । चाँदनी रात में दादा जी के सान्निध्य में अन्त्याक्षरी की प्रतियोगिता बगीचे की अविस्मरणीय घटना है। पक्षियों को वह असीम आकाश में ही उड़ते देखना चाहता है। पंख तो आखिर उड़ने के लिए ही होते हैं । बन्द पिजरे में तोता उसे पसन्द नहीं वह पिंजरे का दरवाजा खोल कर कह ही देता है 'चिड़िया फुर्र.... तोता फु.... ।' अबोली डौगी की बर्थ-डे गिफ्ट चार पिल्ले उसे भाते हैं। और वह उनकी बर्थ-डे भी मनाता है। बृद्धाश्रम में विधवा बुढ़िया के आँसू उसे विचलित कर देते हैं। वह विधवा जिसका पति कारगिल में देश के लिए शहीद हो गया और उसके सगे बेटे ने उसे बृद्धाश्रम में रहने के लिए विवश कर दिया। देवम उस विधवा बुढ़िया को न्याय दिलाता है।लीलाधार श्री कृष्ण ने अपनी लीला से सखा सुदामा को श्री क्षय से यक्ष श्री बना दिया। गरीब और श्री क्षय पारो को भी उस पेंसिल और रबड़ की तलाश है जो उसके ललाट पर विधाता के लिखे लेख को मिटा कर कुछ अच्छा लिख सके ।खूंख्वार आतंकवादी जिससे देश ही नहीं इन्टरपोल भी हैरान-परेशान था देवम की चतुराई से कैसे पकड़ा जाता है प्रेरणा दायक है।स्लम एरिया में रहने वाले बच्चे को शराबी बाप के द्वारा पीटा जाना देवम को व्यथित कर देता है। वह सरकार से पुरस्कार - स्वरूप प्राप्त धन को बाल-कल्याण के कार्य में लगाता है और अक्षर ज्ञान गंगा की स्थापना करता है। इस उपन्यास की हर घटना सभी वर्ग के पाठकों को चिंतन और मनन के लिए विवश करेगी। बच्चों के लिए प्रेरणा युवा वर्ग को पथ-प्रदर्शन और एक दिशा देगी। ऐसा मेरा विश्वास है । अस्तु ।

Details

Publisher - Diamond Pocket Books Pvt LTD

Language - Hindi

Perfect Bound

Contributors

By author

Anand Vishwas


Published Date - 2022-03-24

ISBN - 9789350831717

Dimensions - 21.6 x 14 x 0.7 cm

Page Count - 128

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